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राजलक्ष्मी ने कहा, “सिद्धि की मुझे आवश्यकता नहीं, वह मुझे मिल गयी है।” “कहाँ मिली?” “यहीं। इसी मकान में।” “विश्वास नहीं होता, प्रमाण दो।” “प्रमाण दूँगी तुम्हें? मुझे क्या गरज पड़ी ...